कागद राजस्थानी

गुरुवार, 10 अप्रैल 2014

* बदळो अबकै थोबड़ा *

जनता घाल्या बोटड़ा , थे थरपी सरकार ।
जनता पांती भूख है , थांरै नित फळियार ।।
पांच बरस में आप तो , पाया कोठी कार ।
जनता बैठी तड़फड़ै , बेजां मारी मार ।। 
जीत बणावै देवरा , रोटी मांगै लोग ।
नेताजी रै भोड में , ऊंदा भूंडा रोग ।।
आस पाळता लोगड़ा , मन सूं घालै बोट ।
जीतै बै ई थोबड़ा , जिण रै मन में खोट ।।
देखै बाजी पळटती , नेता बदळै रंग ।
कुरसी जीतण राज री , छोडै दळ रो संग ।।
जीतण जावो राज रो , अबकै बेली जंग ।
बदळो अबकै थोबड़ा , लोकराज रै अंग ।।
बद-बद टेको बोटड़ा , लोकराज रै हेत ।
अळगा काढो दाणियां , टाळ-टाळगै रेत ।।

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