tag:blogger.com,1999:blog-5249327993302257674.post6228506731608309412..comments2022-09-19T18:03:21.693+05:30Comments on ’कागद’ राजस्थानी: . *म्हे अर बै* ओम पुरोहित'कागद'http://www.blogger.com/profile/13038563076040511110noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-5249327993302257674.post-24421855795548739782013-10-19T16:15:12.876+05:302013-10-19T16:15:12.876+05:30आदरणीय कागद जी, सादर प्रणाम !
मुझे आपका ब्लॉग पढकर...आदरणीय कागद जी, सादर प्रणाम !<br />मुझे आपका ब्लॉग पढकर बेहद खुशी हुई . सामाजिक विसंगतियों के खिलाफ़ आपका ओज़ सराहनीय हैं बहुत खुब़ लिख़ा हैं आपने ....मायड़ भाषा की कड़वी रचनाओं को कागद पर उतारने के लिए कोटिशः धन्यवाद. माफी चाहता हूँ क्योंकि इस कागद पर यह टिप्पणी आपणीं भाषा में नहीं कर पाया, फिर भी राजस्थानी की माँ का जाया हूँ और मायड़ भाषा से स्वभाविक लग़ाव हैं |VK Lamboriahttps://www.blogger.com/profile/13144805153075550586noreply@blogger.com