खेत धरम रै राखस ऊग्या ।।
कूड़ करम कुण बा'ग्यो काका ।।
भजन राम रा गावण आयो ।
घर में हरजस गाग्यो काका ।।
दिल्ली पूग्यो नेता आपणों ।
हक समूळा पचाग्यो काका ।।
मरो-क जीयो मरजी थारी ।
देस अजाद बताग्यो काका ।।
*
कोझा मारै झपीड़
कोझा मारै झपीड़ भायला ।
उपाड़ै भूंडी पीड़ भायला ।। लोकराज धरै भीतर अंटी।
कांईं गिणै थूं भीड़ भायला।।
भाई भतीजा बणसी राजा ।
लाम्बा भाग लड़ीड़ भायला।
थारै जाया है अमर राजवी।
बाकीस पूरी छीड़ भायला।।
हाथां लागगी राज तळाई ।
लूंट रा कंठा बीड़ भायला ।।
* सांची बात सांची बात खारी लागै ।
कूड़ी बात प्यारी लागै ।1।
साच नै ओ बतावै कूड़ ।
माणस ओ सरकारी लागै।2।
घाल कोठी ठाठ करै अब ।
पूरी खाल उतारी लागै ।3।
जनता रोवै भूखी तिस्सी।
आं नै आ हुंस्यारी लागै ।4।
नेता घरां नेता जामै ।
जनता अब बिचारी लागै ।5। * प्रीत रा बाण करी क्यूं देर आवण मेँ ।