कागद राजस्थानी

शनिवार, 21 जनवरी 2012

एक कविता

*बात री बात*
बात री कांईं बात
बात री कांईं बिसात
बात बात में
बात री बात चलै
...
बात बात में बात टळै
बाकी रैवै बात
बाकी बात सारु
फेर बात टुरै
बात फुरै
बात सारु बातेरी झुरै !

बात हो जावै
बात रै जावै
बात बण जावै
बात ठण जावै
बात नै नट जावै
तो कोई बात सूं हट जावै
कोई बात डट जावै ।

बात कैवणी पड़ै
बात देवणी पड़ै
चुगलखोरां नै
बात लेवणी पड़ै
सीधै साधै नै
बात सै'वणीं पड़ै
बात बिगड़ जावै
तो कदै ई बात बण जावै
लोग बातां नै अरथावै !

बात बोलणीं पड़ै तोल
बात रा होवै मोल
लाख टकै री बात
धेलै री बात
आगली बात
लारली बात
झूठी बात
सांची बात
बात री आंट होवै
पछै बात री कांईं आंट !

बात तो बात
छोटै री बात
बडां री बात
बैरयां री बात
सखा सहेली री बात
थारी बात
म्हारी बात
खरी बात
खोटी बात
लुकत री बात
बात चोड़ै आवै
असली बात मोड़ै आवै !

बात राखणी पड़ै
बात दाबणीं पड़ै
बात ढाबणीं पड़ै
बात आज री
बात राज री
बात राजा री
बात परजा री
बात अहलकारां री
बात हरकारां री
बात साहूकारां री
बात दान री
बात करज री
बात गांव री
बात गळी गुवाड़ री
बात सैर री
बात फैसन री
बात रासन री
बात भूखां री
धायां री बात
भायां री बात
जायां री बात
बात भीतर री
बात बाअंडै री
सीधी बात
साफ बात
बात बात में बात टूटै
पाछी बात सारु बात जुटै !

बात बिगड़ै
बात घुटै
बात रा दाम
दाम री बात
काम री बात
नाम री बात
इन्याम री बात
धाकड़ बात
मिनखां री बात
लुगायां री बात
टाबरां री बात
झोटां री बात
बोटां री बात
काळजै री बात
मन री बात
दिल री बात
होठां री बात
स्याणां री बात
गूंगां री बात
बात रा रूप अनेक
बात रा सरूप अनेक

=============
कै'णीं जकी कै'गी बात
हाल भी कीं रै'गी बात
थोड़ी राखी है बात
थोड़ी न्हाखी है बात
कीं जोड़ी है बात
कीं तोड़ी है बात
आ है बात
बा है बात
सा है बात
बात जोर गी
बात और गी
बात चोर गी
बात गोर गी
गणगोर री बात
और री बात
भोर री बात
रात री बात
बात री बात
जात री बात
जनात री बात
धरम री बात
करम री बात
सरम री बात
देस री बात
विदेस री बात
साची बात खारी लागै
झूठी बात खारी लागै
अखबारी बात सरकारी लागै
टाबरां री बात काची लागै
हुंकारी बात साची लागै !

फेस री बात
फेसबुक री बात
आउटलुक री बात
चेट री बात
नेट री बात
भेंट री बात
फोटू री बात
गळघोटू री बात
मिसेज री बात
मैसेज री बात
खेल री बात
मेल री बात
रखेल री बात
लड़ाई री बात
राड़ री बात
बाड़ री बात
हार री बात
जीत री बात
प्रीत री बात
मीत री बात
बात करो तो बात है
बात नै नटो तो कांईं बात है ।

एक कविता

*चिड़ी बोली*
चिड़ी बोली
कागलै सूं
नीचै उतर
डागळै सूं
चाल चालां रूंख पर
रूंख ई है आपणों घर है
ओ है माणस रो घर
मैं ईं रै भीतर
भोत रैयोड़ी हूं
ओ क्यां रो घर है
ईं रै भीतर तो
डर ई डर है !

एक कविता

*जावां कठै*
मत ना पूछो हाल
हाल माड़ा है
जावां कठै
लोरयां रा भाड़ा है
तेल रा खेल
भूंडा अचपळा
रिपड़ा पल्लै कोनीं
तेल घलै कोनीं
फटफटियो चलै कोनीं
राज हाथै बातै नीं
मंडै चंवरी कोनीं
बचै भंवरी कोनीं
करां खटको
लट्टू जगै कोनीं
निरा बिल है
बिलां लारै
नागा नेता नाग है
काळजै निरी आग है
म्हारै कांईं लाग है
पण डरै दिल है
खाली पेटड़ा
पण भरै बिल है
नळ रोवै टोपा टोपा
नेता होग्या गोपी गोपा !

लिखां कविता सुणै कोनीं
सुणै तो गुणै कोनीं
गाभा तो चोखा धोळा है
कानां सूं पण बेजां बोळा है
आं री आंख्या पाटी है
जूण जनता री हळदीघाटी है
धिकावै धाको
लगावै नाको
चुप चाप पड़ी है
बापड़ी रोवै कोनीं
मांगै कोनीं अर पोवै कोनीं !

गांधी बाबो कीलग्यो
भूखा हो तो मारो मत
भूखा मर बिगाड़ो गत
बात तो आ जचै कोनीं
नेता रो कीं बिगड़ै कोनीं
म्हारो कीं बचै कोनीं !

एक पंचलड़ी

*पंचलड़ी*
सांची बात खारी लागै ।
कूड़ी बात प्यारी लागै ।1।
साच नै ओ बतावै कूड़ ।
 
ओ माणस सरकारी लागै।2।
घाल कोठी ठाठ करै अब ।
पूरी खाल उतारी लागै ।3।
जनता रोवै भूखी तिस्सी।
आं नै आ हुंस्यारी लागै ।4।
नेता घरां नेता जामै ।
जनता अब बिचारी लागै ।5।

एक कविता

*सोवां कोनी *
रोवै जका
सोवै कोनीं
सोवै जका
रोवै कोनीं
दुख आळी रात
कद आवै नींद
सुख आळी रात
सोवै कुण !

कुण कैवै
रात सोवण
अर
दिन जागण सारु होवै
भलै मिनखां चितारी
सोवो तो रात है
जागो तो बात है
सूत्यां कटै दिन
जकै में
भेळा होवै दिन-रात !

सूत्यां नै जगावणों पाप है
पाप्यां नै जगावणों महापाप
पण चालो
आपां जगावां सूत्यां नै
बदळां पाप पुन्न रा भेद
मिट्यां भेद आ सी नींद
जकी जगासी जगती नै !

दो दूहा

*तंत*
धोळा काळा कर लिया,जवान होग्या कंत ।
गोडा ओज्यूं बूढिया ,  आयो कोनीं तंत ।।
गोडा मांगै गेडियो,     ऐनक मांगै आंख ।
लाल गाभा देखगै,     डोकर काढै पांख ।।

सरदी रा दूहा

*सरदी रा सात दूहा *
मा बणावै लूपरियो, सागै सूंठी चाय ।
गूदड़ ओढ्यां गटकल्यां, डाडा आवै दाय ।1।
धंवर धारी धूजणी , खोटी खावै खाल ।
मा औढावै गूदड़ा , ढाबै सगळी चाल ।2।
 
ताती ताती मूंफळी , भेल खावां मिठाण ।
रातां काढां आंख सूं , आवै नीं ओसाण ।3।
तिल सकरिया'र पापड़ी, घेवर फीणी दूध ।
मायड़ हाथां खायगै , गूदड़ लेवां रूध ।4।
काचर मूळा भेळगै , साग बणावै माय ।
बाजर आळा रोट में, गुड़ घी आवै दाय ।5।
गुड़ री रांधै राबड़ी , थाळी मेँ दै घाल ।
सातूं सुख जाओ आंतरा , छोडां स्सै सुआल ।6।
सरदी आई सांतरी , खायो लागै अंग ।
ओच्छा राख्यां गूदड़ा , होस्यां बेजा तंग ।7।

सरदी रा दूहा

*ठाट सरदी*
सरदी लागै सांतरी, खावण आवै ठाट ।
पूड़ी पापड़ पापड़ी, सगळी जावां चाट ।1।
चाट पकोड़ी चटपटी , ताती ताती चाय ।
छोडां नीं म्हे बापजी, झट लेवां गटकाय ।2।

पगेलागणां बाद में , पैली देखां चाय ।
बिना चाय रै भायलां, भेंट न आवै दाय ।3।
मूंफळी चलै जोट में, आखी आखी रात ।
खाणां पीणां नीवड़ै ,घटै न मन री बात ।4।
ताती पीवां चावड़ी, मुंडै निकळै बाफ ।
चाट पकोड़ी देखगै ,नीचै पटकां राफ ।5।

एक डांखळो

*डांखळो*
सरदी मरतै ऊंदरै दारू ली गटकाय ।
घर में बणाई रोटी कोनीं आई दाय ।
          ऊंदरी नै काढी गाळ
         साग तो ढंग रो बाळ
रीसां बळती ऊंदरी सिर में दी मुंधाय ।।

पंचलडी़

*बातां सरदी री *
दिनड़ा ताता रातां ठंडी ।
पै'रां सूटर छोडां बंडी ।।
छींयां सूती टांगां पसार ।
सूरज भाज्यो छोड बरंडी।।
ठंडा छोडो ताता खाओ ।
सूरज दे दी अब तो झंडी।।
खारक घेवर खाओ भाया ।
लेवण चालां चालो मंडी।।
पगां उभाणा मतना चालो।
चालो घर नै पकड़ो डंडी।।
घरां उडीकै थारी मरवण ।
सांमी आसी बणगै चंडी।।

दो चितराम


मूंघीवाड़ै मेँ प्यार रा दो चितराम
-एक-
छोरा बोल्या
इण मूंघीवाड़ै में
कोनीं पड़ै पार
मत करो प्यार
आगै बध्या हो तो
लारै हटणों पड़सी
प्यार खातर छेकड़
नटणों पड़सी !

-दोय-
छोरयां बोली
इण मूंघीवाड़ै में
कोनीं पड़ै पार
अब करो प्यार
अब ताईं रो मून
अब तोड़णों पड़सी
इश्क रो गाडो
अब जोड़नो पड़सी

दूहा

दो दूहा

सज्जण चालै साथ में,दुरजण चालै लार ।
नुगरा चालै लुक परा, लोभी डोबै धार ।।

हेत पांगरै धाप में,       भूख पांगरै राड़ ।
भाई बांटै खेत नै,      काको बांधै बाड़ ।।

छकड़ी

[<>]छकड़ी [<>]
माया रचाई खोटी बाबा ।
पूंजी कमाई मोटी बाबा ।।
मेहनत करने वाले हारे ।
जुटी नहीं वहां रोटी बाबा।।
लोहा बेचे भाव सोने के ।
कैसी हुई कसोटी बाबा ।।
बिना बोटोँ के जीता नेता ।
खूब बैठाई गोटी बाबा।।
उनका भाग्य संवरा संवरा।
मेरी किस्मत छोटी बाबा।।
खेत आपका सांड ये चरतै ।
अपनी दिखाओ सोटी बाबा।।

एक कविता


♥ भोत अंधारो है ♥
होया करै जेड़ो
है दिन
चोगड़दै पण भंवै
साव अंधारो
सुरजी नै चिडावंतो !

कुण देखै सूई
जठै लुकग्या हाथ
दिखै ई नीं
खुद रै पगां रो कादो
भोत अंधारो है
थकां सुरजी !

है तो सरी सुरजी
आभै में पकायत
है कठै पण ठाह नीं
फिरग्या आडा
जळबायरा बादळिया !

इयां तो
ढबै नीं सुरजी
निकळसी एक दिन
बादळियां नै फटकार
पळपळावंतो
आभै रै सूंवै बिचाळै !

एक कविता

.
[<>] लुक्को लाडी [<>]
नेता जी रै चढगी घोट ।
दादी बोली घालो बोट ।।
डेडर भांत बोल्या नेता ।
आज काल में पड़सी बोट ।।
जात पांत रा करसी खेल ।
मरजादा पर धरसी चोट ।।
दादी बोली लुक्को लाडी ।
ठाकुर जी री ले ल्यो ओट।।
खोट ढूंढसी आपां मांय ।
नेता जी में कोनीं खोट ।।
अळगा होय आपां बैठ्या ।
नेता सगळा ऐकम जोट ।।
कुरसी माथै जम परा ऐ ।
भीतर राख सेकसी रोट ।।
देस बचाणो तन्नै लाडी ।
हाथां ले लै भाया सोट ।।

एक कविता

प्रीत

प्रीत पांगळी 
चालै हळवां
पकड़ आंगळी
कथी अलेखूं
मथी कहाणीं
निकळी कूड़
पूगी भागती
फगत ऐकली
पगां उभाणीं ।
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