कागद राजस्थानी

रविवार, 20 मई 2012

एक राजस्थानी कविता

सात राजस्थानी कवितावां :ओम पुरोहित "कागद"


1-भाषा

भाषा

पिराण


जड़ अर चेतन री


अरथावै


निराकार नै


करण साकार !




भाषा खूटै


रुळै


जड़ - चेतन


चेतन-जड़


थकां आकार !


*

2-सबद


सबद संचरै


अरथावण मनगत


मन भरमीजै


अरथां


सुवारथां


कोरै चितराम


ऊजळै भरम !


*

3-मनगत

मन री गत

नीं उकरै


सबदां !


मन री


मन में


थपै-उथपै गत !


*

4-बगत


इकसार नीं

बगत


बगत-बगत


बदळै बगत !




बगत खूटै


बगत ई बचै


बतळावण बगतसर


बगत री बात !


*

5-बतळावण

च्यारूं कूंट सरणाटो

सरणाटै सूं


सरणाटै री बतळावण


सुणै कुण ?




सरणाटै रै आर सरणाटो


सरणाटै रै पार सरणाटो


थारै म्हारै बीच


त्यार सरणाटो !




आओ सीखां


भाषा


सरणाटै री !


*


6-आकार

कुण साकार

कुण निराकार


थकां भूख


भूख ई


पसरै-सांवटीजै !




भूख


अन्न री


धन्न री


मन री


ग्यान री


ध्यान री


परमाण री


कदै’ई निराकार


कदै’ई साकार


भंवै जगती में


भंवती भूख !


*

7-तप



तप मांगै

भख


तन्मन रो !




तपै धोरी


अखूट तप


जपै पाणी


फ़गत पाणी


पाणी निराकार


पाणी साकार


बो पाळै


ध्यावना-चावना


पण


तिरस पड़तख !


*




[] ओम पुरोहित "कागद"

24-दुर्गा कोलोनी

हनुमानगढ़ संगम- 335512

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