कागद राजस्थानी

मंगलवार, 31 मई 2011

दुरगा अष्टमी री धिराणी महागौरी


दुरगा अष्टमी री धिराणी महागौरी-ओम पुरोहित कागद
ज आठ्यूं-नोम्यूं भेळी। आठवों-नौवों नोरता भेळा। आज माताजी रै दो सरूपां री पूजा। महागौरी अर सिद्धिदात्री। आठ्यूं बजै दुरगा अष्टमी। नोम्यूं बजै महाष्टमी।
माता दुरगाजी रो आठवों रूप महागौरी। आप रो रूप जबर गोरो। आप रो पैराण भी गोरो। धोळा गाभा। आपरी उमर आठ बरस री मानीजै। दुरगा अष्टमी री धिराणी महागौरी। आपरै च्यार हाथ। जीवणै पासै रै एक हाथ में तिरसूळ। दूजो हाथ वरदान देवण री छिब में। डावै पासै रै एक हाथ में डमरू। दूजो हाथ डर भगावण री छिब में। महागौरी री सवारी बळद। आपरी पूजा सूं तुरता-फुरत अर ठावा फळ मिलै। फळ पण अचूक अर बिना मांग्यां मिलै। इणां री ध्यावणां सूं पापां रो हरभांत सूं कल्याण होवै। भगतां रा पुरबला पाप मिटै। आगोतर सुधरै। परलै लोक री सिध्यां मिलै। जका भगत दूजां नै टाळ फगत महागौरी नै ध्यावै, वांरा मनोरथ फळै। इंछाफळ मिलै।
महागौरी पूजा आठ्यूं नै होवै। इण दिन ध्यावणिया वरत करै। आठ्यूं नै कढाई भी बणै। कढाई में रंधै सीरो। सीरै रो माताजी रै भोग लागै। आखै दिन श्री दुर्गा-सप्तसती रो पाठ होवै। इण दिन कुंवारी छोर्यां री पूजा होवै। कन्यावां नै कंजका रूप पुजीजै। पग धोय जीमाईजै। चूनड़ी-गाभा अर दखणा भेंटीजै।

अष्ठसिद्धि अर नवनिधि री दाती सिद्धिदात्री
माता जी रो नोवों सरूप सिद्धिदात्री। संसार में नव निध्यां अर अष्ठ सिध्यां बजै। आं नै देवण आळी माताजी सिद्धिदात्री। निध्यां अर सिध्यां री भंडार। सामरथवाण। आद देव स्यो भी सिध्यां बपरावण सारू आं री सरण गया।
जगजामण मात भवानी सिद्धि दात्री रै च्यार हाथ। जीवणै हाथां में गदा अर चक्कर। डावै हाथां में पदम अर शंख। सिर माथै सोनै रो मुगट। गळै में धोळै फूंलां री माळा धारै। कमल पुहुप आसन। इणी कारण एक नांव कमलासना। मात भगवती सिद्धिदात्री री ध्यावना सिद्ध, गंधर्व, यक्ष, देवता, असुर अर माणस सगळा करै। नौवैं नोरतै आं री खास पूजा। खास अराधना। नौंवै, नोरतै री पूजा होवै। नूंत जीमाईजै। दान-दखणां देईजै। इण कारण ओ दिन कुमारी पूजा रो दिन बजै। जपियां, तपियां, हठियां, जोधावां, छतर्यां अर जोग्यां री साधना फळै। मनवांछत फळ मिलै। अलभ लभै। भगतां में सो कीं करण री सहज सगती संचरै।

रामनमी सांवटै पूरबलां रा पाप
ज ई श्रीरामनमी भी। आज रै ई दिन पुनरवसु नखत में भगवान विष्णु आयोध्या में राजा दशरथ अर माता कौशल्या रै घरां श्रीराम रूप औतार लियो। श्रीराम औतार रो दिन होवण रै पाण ई आज रो दिन रामनमी। आज रै दिन विष्णु भगवान रा भगत विष्णुजी नै धोकै। बरत करै। खास पूजा करै। इण दिन झांझरकै ई संपाड़ा कर पूजा सारू ढूकै। घर रै उतराधै पसवाड़ै पूजा मंडप बणावै। ऊगतै पासै शंख, चक्कर अर हनुमानजी री थापना करै। दिखणादै बाण, सारंग, धनख अर गरूड़जी। पच्छम में गदा, खड़ग अर अंगदजी। उतराधै पदम, साथियो अर नीलजी थरपै। बिचाळै च्यार हाथ री बणावै वेदका। वेदका माथै सोवणां-मोवणा गोखड़ा अर तोरण सजावै। इण मोवणै मंडप में श्रीराम री थापना करीजै। कपूर अर घी रो दीयो चेतन करै। दीयै में एक, पांच या इग्यारा बाट धरीजै। थाळी में धूप अगर, चनण, कमल पुहुप, रोळी-मोळी, सुपारी, चावळ, केसर अर अंतर धर'र आरती करीजै। आखै दिन श्रीरामचरितमानस रा अखंड पाठ चलै। आठ्यूं-नोमी भेळी होयां विष्णु भगत बरत दस्यूं नै खोलै। मानता कै रामनमी रो बरत-पूजा करणिया पुरबला पापां सूं मुगत होवै। सगळै जलमां रा पाप सांवटीजै। भगतां नै विष्णु लोक में परमपद मिलै।
आज छेकड़लो नोरतो। इणी दिन नोरतां री महापूजा। काल दस्यूं। दस्यूं नै पूजा-पाठ करणियां नै दान-दखणां देय बिदा करीजै। राजस्थान रै सगळै देवी मिंदरां में नो दिनां ताणी देवी री पूजा होई। काल जाणस्यां राजस्थान रा ठावा देवी मिंदर। इणी रै साथै पूरीजसी नोरतां री खास लेखमाळा 'आओ, म्हारै कंठा बसो भवानी'। जै माताजी री!

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