दस दूहा पूंछ आळा
[१]
बाबो राखतो बकरी,दूध देंती छटांक ।
चारो चरगै धपटवों,पछै चूसती फ़ांक ॥
पढगी होणी दो आंक ॥
[२]
मैडम करती नौकरी,धणी करतो राड़ ।
धणीं पीसतो पीसणौ,मैडम पीसै जाड़ ॥
धाकौ तो धिक्कै ई हो ॥
[३]
पंडत पाळ्यौ कूकडो़,झांझरकै देंतो बांग ।
लौग रेंवता ताक में,ज़बरौ मंड्यौ सांग ॥
पंडत री पूछ बधगी ॥
[५]
ठेको खुलग्यौ गांव में,सगळा होया चूंच ॥
रोज रोज गी पींवतां, बुक होई आगूंच ॥
सै’र रो भाडो़ बचग्यौ ॥
[६]
डैण पींवतौ धपटवीं, डॊकरी ही नराज़ ।
पीहर जास्यूं भाजगै,छोडौ आजो आज ॥
आ डोकरी मरवा सी ॥
[७]
काकै मांगी काकडी़, काकी घाली दाळ ।
काकै ठोकी लात री,काकी काढी गाळ ॥
काल पाछा राजी ल्यौ ॥
[८]
रंग गौरा आंख बडी,काया ज अपरम्पार ॥
कहो भायली आपके, पातळिया भरतार ॥
म्हारला बांदर लागै ॥
[९]
जनता मांगी रोटडी,नेता मांग्या बोट ।
जनता तो भूखी सडी़,नेता जीमै नोट ॥
भाग है आप आप रा ॥
[१०]
चोरी करतो पेमलौ,जारी भी भरपूर ॥
नेता बणग्यौ जीतगै,दिल्ली काढै़ टूर ॥
चलो कळेस तो कटग्यौ ॥
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