कागद राजस्थानी

सोमवार, 8 अगस्त 2011

सावण रा दूहा

*सावण जावै हाथ सूं*
सावण सुंरगो आवियो, आया नीँ भरतार ।
काया म्हारी दाझगै,कांईं चावै करतार ।।
 
आभै चमकी बीजळी, धरती बधगी आस |
कळपै थारी कामणीँ, साजन आओ पास ।।
 
सावण बैरी सायबा, नित रो बरसै आय ।
घरां पधारो सायबा, जोबन बैरी खाय ।।
 
हिंडो मांडूं हेत सूं , गाऊं गीत पच्चास ।
सायब होवै साथ मेँ, हिंडो चढै अकास ।।
 
फोन लगाऊं सायबां, आवै कोनीँ टोन ।
सावण जावै हाथ सूं , ओन करो नीँ फोन ।।
सावण आयो सायबा, मत ना जाओ दूर ।
सेजां पोढो आयनै, छोडो सगळा टूर ।।
 
तनड़ो सारो भीजग्यो, मनड़ो गावै गीत ।
साजन भेळा नाचल्यो , बणगै मन रा मीत ।।
अंबर गाजै बादळी, मनड़ै नाचै मोर ।
साजन म्हारा आंतरा ,रत्ती न चालै जोर ।।
 
आभै देखूं बादळा , हिवड़ै उपजै नेह ।
साजन होवै साथ मेँ , भळ बरसो थे मेह ।।
 
चंदै लिपटी बादळी , आभै देखूं भाज ।
घरां पधारो सायबा , काया छोडूं आज ।।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...