कागद राजस्थानी
॥
ओम पुरोहित "कागद"-
हिंदी
/
राजस्थानी
॥
कागद हो तो हर कोई बांचै...
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बुधवार, 6 जून 2012
मेह होवै तो म्हे होवां
मेह होवै तो म्हे होवां
तपती चालै
बळबळती बगै
बादळां नै झूरती
आभो धरती
एक करती पून !
झूंपड़ा तपावंती
गाछ सुकावंती
पाणीं बाळती
लू बणी बगै पून
बादळां रो सोधती
अंतस पाणीं !
लूआं रो
फंफेडीज्योड़ो धोरी
आभो तकै
करै अरदास
मेह करो
मेह होवै तो
म्हे होवां !
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