कागद राजस्थानी
॥
ओम पुरोहित "कागद"-
हिंदी
/
राजस्थानी
॥
कागद हो तो हर कोई बांचै...
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शुक्रवार, 15 जून 2012
डांखळो
डांखळो
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सगळी बातां रो जाणकार मानतो खुद नै कवि दादो ।
बातां रो मतलब बतावण रो करया करतो खुलो वादो ।
पड़ती जद पार नीं
मान्या करतो हार नीं
रीसां बळतो कर दिया करतो भच्च देणीं बात रो कादो ।।
1 टिप्पणी:
sushila
15 जून 2012 को 10:41 pm बजे
जोर गो थो कवि दादो और जोरगी है थारी कविता गुरू जी!
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जोर गो थो कवि दादो और जोरगी है थारी कविता गुरू जी!
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