कागद राजस्थानी

शुक्रवार, 10 जून 2011

अरथाऊ दूहा-


 
        गांधी थारै देश में

























चोरड़ा चलाक चातर, चोघा घणा हराम ।
नेता म्हारै देस रा,राम बचावै राम ।1।

बाबा थारी भोडकी , कियां खायगी भांग ।
नोट कढावै काळिया, कूकर पूरै मांग ।2।

चोसठ सालां लूटगै, नेता कूट्या दाम ।
बाबो काढै सैँत मेँ, नेता चेप्या डाम ।3।

दिल्ली दिलड़ो देस रो, कुणसो कैवै आज ।
नेता ठोकै डांग री, जान बचाओ भाज ।4।

लोकराज रै च्यानणै, आज मच्यो अन्धकार ।
नेता जीमै नोटड़ा,जनता खावै मार ।5।

चोरटा बण्या राजवी,धाड़वी है दलाल ।
राजा बैठ्यो मौज मेँ,जनता करै सुवाल |6।

चोरटा चेप काळजै,  राज भरै हुंकार ।
जनता आं नै धोकलै,नीँ धोक्यां है मार |7।

गांधी थारै देश में, नेतां घाली राध ।
धाप कमावै नोटड़ा, चोगड़दै अपराध ।8।

गांधी थारै देश मेँ,रुळगियो लोकराज ।
नेता होग्या निसरमा, माटी रुळगी लाज ।9।
गांधी छपग्यो नोटड़ां , बण्यो नेतां री स्यान ।
अब जे आवै साम्हनै,उणरा खोसै कान ।10।

गांधी थारी अहिँसड़ी, खोई खुद री धार ।
धरणै बैठ गरीबड़ा, नित री खावै मार ।11।

गांधी थारी समाधी, थरप दी राजघाट ।
दिन मेँ धोकै नेतिया, रातां ठाटमठाट ।12।

गांधी थारा बांदरा, धोळा पैरै बेस ।
आं रै सांकळ घाल दे, बेच न्हाखसी देस ।13।

गांधी थारै देसड़ै, संत कुटीज्या आज ।
भारत माता थारली,कियां बचावै लाज 14।

राज चलावै सोनिया, देखै है सरदार ।
मंत्री भूंसै रोब सूं, कोई न जिम्मेदार ।15।

मनमोहन थारो राज, कोजो घणो खराब ।
धरमी खावै लाठियां, गुंडा मुंडै आब ।16।

चमचा चूसै चासणी,नेता खावै माल ।
जनता कूकै गूंग में, बोलो सतश्रीकाल ।17।

गुंडा बैठ्या राज मेँ, पूरा लेवै ठाट ।
जनता मांगै रोटियां, फोड़ण भाजै टाट ।18।

कुरसी बैठ्या चोरटा,धर नेता रो भेस ।
नोट कमावै देसड़ै, मेलै जाय विदेस ।19।

लेखक मांडै लीकट्यां, थांनै आवै दाय ।
मजोस आवै उण घड़ी, ढूकै नेता जाय ।20।

नेता जीव कुजीवड़ो, देवै फीँच पड़ाय ।
कुरसी पेटै मावड़ी, बेचै मंडी जाय ।21।

ऐ पधारया आंगणै,    म्हारै रितुराज ।
बिरखा अळगी भाजगी, तप्यो तावड़ो आज ।22।

दिल्ली होयगी मारणीं, थारी ओ रितुराज ।
दूरज बैठ्या धोकस्यां , राखस बरणों राज ।23।

भाग बदळसी सोचतां,होग्या चोसठ साल ।
रोटी रोटी रोंवतां,हाडां चिपगी खाल |24।

बोटां जाम्या नेतिया, बोटा करसी आज ।
खोटा होग्या भूंडिया, कुण बतळावै आज ।25।

कविडा कुबधी कागला , ऊंडी मारै चांच |
सुधरै तो सुधरै नईं, सुधरो देवै टांच |26|


आंख्यां मीँच्यां चिड़कल्यां,बैठी मनड़ो मार ।
राजा रोसै रोज रो, ना पूछो करतार ।27।


गोविन्द जेड़ा खालसा , आवै पाछा आज ।
दसा सुधारै देश री , चिड़्यां लड़ावै बाज ।28।


दाता तो पाता भया, पाता गया पताळ ।
जीवण दोरा जीवणां , खोस्या रोटी दाळ ।29।


रोटी मागी रामजी, सोटी पड़गी आय ।
जीणोँ दोरो देसड़ै , राम बचाओ आय ।30।


अल्लाह थारी बातड़ी, कुणसो मानै आज ।
रहम न बांटै थारलो, खोस्यां बैठ्यो राज ।31।


बापू थारा बांदरा , धूमस घालै रोज ।
जनता बैठी भूख मेँ, संसद खावै भोज ।32।


नानक राम रहीम रा , बंदा देखो आप ।
रोटी खोस गरीब री , कर बैठ्या धणियाप ।33।

नेता जीव कुजीव है, कुरसी उण रो राम ।
कुरसी छूट्यां बापजी, होवै काम तमाम ।34।

धरम भिड़ावै नेतिया, जातां दै सुळगाय ।
कीँ बोटां रै कारणै, माणस दै मरवाय ।35।

बाबा कुणसा घाट है,घाट घाट धणियाप ।
माळा फेरै राम री, रोज कमावै पाप ।36।

जनता घालै घाट नीँ, लालच मरती जाय ।
उणनै टेकै बोटड़ा . खाल जको है खाय ।37।

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