मायड़ भाषा पेटै दोय पंचलड़ी
-ओम पुरोहित 'कागद'
१. पंचलड़ी
आ मन री बात बता दादी।
कुण करग्यो घात बता दादी।।
भाषा थारी लेग्या लूंठा।
कुण देग्या मात बता दादी।।
दिन तो काट लियो अणबोल्यां।
कद कटसी रात बता दादी।
मामा है जद कंस समूळा।
कुण भरसी भात बता दादी।।
भींतां जब दुड़गी सगळी।
कठै टिकै छात बता दादी।।
२.पंचलड़ी
पूछो ना म्हे कितरा सोरा हां दादा।
निज भाषा बिना भोत दोरा हां दादा।।
कमावणो आप रो बतावणो दूजां रो।
परबस होयोड़ा ढिंढोरा हां दादा।।
अंतस में अळकत, है मोकळी बातां।
मनड़ै री मन में ई मोरां हां दादा।।
राज री भाषा अचपळी कूकर बोलां।
जूण अबोली सारी टोरां हां दादा।।
न्याव आडी भाषा ऊभी कूकर मांगां।
अन्याव आगै कद सैंजोरा हां दादा।।
आ मन री बात बता दादी।
कुण करग्यो घात बता दादी।।
भाषा थारी लेग्या लूंठा।
कुण देग्या मात बता दादी।।
दिन तो काट लियो अणबोल्यां।
कद कटसी रात बता दादी।
मामा है जद कंस समूळा।
कुण भरसी भात बता दादी।।
भींतां जब दुड़गी सगळी।
कठै टिकै छात बता दादी।।
२.पंचलड़ी
पूछो ना म्हे कितरा सोरा हां दादा।
निज भाषा बिना भोत दोरा हां दादा।।
कमावणो आप रो बतावणो दूजां रो।
परबस होयोड़ा ढिंढोरा हां दादा।।
अंतस में अळकत, है मोकळी बातां।
मनड़ै री मन में ई मोरां हां दादा।।
राज री भाषा अचपळी कूकर बोलां।
जूण अबोली सारी टोरां हां दादा।।
न्याव आडी भाषा ऊभी कूकर मांगां।
अन्याव आगै कद सैंजोरा हां दादा।।
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