<><> पंचलड़ी <><>
मारै कोझा झपीड़ भायला ।
भूंडी उपाड़ै पीड़ भायला ।।
लोकराज धरै अंटी भीतर ।
कांईं गिणै थूं भीड़ भायला।।
भाई भतीजा बणसी राजा ।
लाम्बा भाग लड़ीड़ भायला।
थारै जाया है अमर राजवी।
बाकीस पूरी छीड़ भायला।।
लागगी हाथां राज तळाई ।
लूंट रा कंठा बीड़ भायला ।।
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