कागद राजस्थानी

रविवार, 1 अप्रैल 2012

पंचलड़ी

<><> पंचलड़ी <><>

मारै कोझा झपीड़ भायला ।
भूंडी उपाड़ै पीड़ भायला ।।
लोकराज धरै अंटी भीतर ।
कांईं गिणै थूं भीड़ भायला।।
भाई भतीजा बणसी राजा ।
लाम्बा भाग लड़ीड़ भायला।
थारै जाया है अमर राजवी।
बाकीस पूरी छीड़ भायला।।
लागगी हाथां राज तळाई ।
लूंट रा कंठा बीड़ भायला ।।

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