कागद राजस्थानी

रविवार, 1 अप्रैल 2012

विचार

.
[]मातृभाषा : दो विचार []

(1)
"मातृभाषाहीन जाति जाति नहीं कही जा सकती । मातृभाषा की रक्षा देश की सीमा की रक्षा से भी अधिक आवश्यक है , क्योँ कि यह पर्वत और नदियों से भी अधिक बलवती है । "
- टॉमस डेविस , प्रख्यात विद्वान
(2)
"मुझे यह कतई सहन नहीं होगा कि हिन्दुस्तान का एक भी आदमी अपनी मातृभाषा भूल जाए या उसकी हंसी उड़ाए , इस से शर्माए या उसे ऐसा लगे कि वह अपने अच्छे से अच्छे विचार अपनी मातृभाषा प्रकट नहीं कर सकता । कोई भी देश सच्चे अर्थों में तब तक स्वतंत्र नहीं हो सकता जब तक वह अपनी भाषा में नहीं बोलता ।"
-राष्ट्रपिता महात्मा गांधी

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