*आज हंसोकड़ी कविता*
[::]=[::]=[::]=[::]=[::]
[::]कवि अर कवियाणीं[::]
कविता सुणण खातर
कवि सम्मेलन में
कवि साथै
कवियाणी भी आई
रात नै बारा बजे
कवि जी री बारी आई
कवियाणी खड़ी होय
ताळी बजाई !
कवि जी मंच चड़्या
कविता सुणाई
पै'ली ई ओळी सुणाई
"रात पूनम की थी"
कवियाणी बोली
थमज्या-कविता डाट
पैली बता
आ पूनम कुण है
कठै री है किरड़कांट
जकै सागै थूं
रात बिताई है
बीं नै तो देख ई लेस्यूं
मंच छोड
मांचै पर चाल
आज तन्नै भी देख लेस्यूं !
कवि बोल्यो
बा कोई कोनीं
पूनम तो बापड़ी
म्हारी कविता री पात्र है
कवियाणी बोली
बा तो है जकी है
बीं नै जावण दे
म्हैं तो तन्नै भी जाणगी
थूं कित्तोक सुपात्र है
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें