कागद राजस्थानी

रविवार, 1 अप्रैल 2012

रणभेरी

[<>>रणभेरी बाजगी [<>]
ठंड रा दिन है
थे फोड़ा देखता
थे आवंता भी तो
कांईं करता
करणों तो म्हांनै ई हो
म्हे कर लियो
बैठकड़ी ही ऐक
जकी करणीं ही
थांरै कैयै मुजब
म्हे कर ली थां सारु
बोला बाला !

थे तो जाणों ई हो
हाकां में कांईं सार है
सार तो असवार में है
घोड़ां में कांईं सार ?
आप भी तो घोड़ा ई हो
आप तो दौड़ो दड़ाछंट
ठिकाणैं माथै तो हरमेस
पूग्या करै असवार
थांनै नीं-पूगणों म्हांनै है
पूग जास्यां ओ
घोड़ा तो बांअंडै ई बंधै
ठाणां माथै परबारा
थ्यावस राखो
बगत आयां
थांन्नै ई बांध देस्यां !

अब सुणों !
रणभेरी बाजगी है
प्रेस नोट निकळग्यो
घरां नीं सोवणों
अब जुद्ध होयसी छेकड़लो
सिर गिणीजसी
म्हां खन्नै सिर कठै
भाषण रा भंडार है
भाषण अर रासण साम्भण
भंडारां माथै
मोटा मोटा भंडारी है
म्हांनै भंडार साम्भणां है
सिर तो थांन्नै ई मांडणां है !

अब जाओ
तप्पड़ बिछाओ
माणस ल्याओ
मंच सजाओ
साम्हां बैठो
म्हारी चिंता ना करो
बगत माथै पूग जास्यां
भाषण आळा देख्या
भच्चीड़ बुला देस्यां
ईंट सूं ईंट भिड़ा देस्यां
जे पड़ै जरुरत
गिरफ्तायरयां सारु
त्यार रैया बध बध
उण घड़ी म्हांनै तो
होवणों पड़सी "भूमिगत"
चिंत्या ना करया म्हारी
आगीवाणां नै तो इयां
करणों ई पड़्या करै
जाओ रे डोफ्फो
इयां थोड़ी डरया करै !

छूटण आळी
चिंत्या ना करया
म्हे छुडा लेस्यां
थे देख्या अब म्हारा
मोटा मोटा लोगां साथै
कित्ता सम्बन्ध बणग्या
लारलां सूं भोत आगै हां
म्हे भोळा कोनीं
गज़ब रा गोळा हां !

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