कागद राजस्थानी
॥
ओम पुरोहित "कागद"-
हिंदी
/
राजस्थानी
॥
कागद हो तो हर कोई बांचै...
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शुक्रवार, 9 अगस्त 2013
तीन हाइकुडा
1.
प्रीत उकळी
फिड़कलै दी नाड़
दीयै री लाट !
2.
प्रीत रो ढब्बू
फुलायो अणथाग
फूट्यो फट्टाक !
3.
प्रीत रा प्याला
भर-भर पींवता
छेकड़ टूट्या !
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