कागद राजस्थानी

शुक्रवार, 9 अगस्त 2013

*सैकै सगळा रोट*


नेता जनता एकसा , भावै सब नै नोट ।
पड़ो दरड़ में देसड़ो, सैकै सगळा रोट ।।
जनता घालै कोड सूं , नेता मांगै बोट ।
नेता चाटै थूकगै , जनता भूलै खोट ।।
जात जूत अर नोटड़ा , चालै बोटां लार ।


आं बातां रै कारणैं , जनता खावै मार ।।
नेता मोटो बो बजै , जिण री पूरी धाक ।
भासण देवै धपटवां , काटै सब री नाक ।।
पांच साल तो नींद में, सोवै जा दरबार ।
बोटां आळी टैम में , जागै बा सरकार ।।
कारां जीपां काफला , दारू नोट शराब ।
इतना जिण रै हाथ में, बो जीतैलो साब ।।
स्याणो सूधो है जको , बो तो जावै हार ।
आंख्या न्हाखै रेतड़ी, उण री नैया पार ।।

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