कागद राजस्थानी
॥
ओम पुरोहित "कागद"-
हिंदी
/
राजस्थानी
॥
कागद हो तो हर कोई बांचै...
||
शुक्रवार, 9 अगस्त 2013
*डांखळो*
सरदी मरतै ऊंदरै दारू ली गटकाय ।
घर में बणाई रोटी कोनीं आई दाय ।
ऊंदरी नै काढी गाळ
साग तो ढंग रो बाळ
रीसां बळती ऊंदरी सिर में दी मुंधाय ।।
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