कागद राजस्थानी
॥
ओम पुरोहित "कागद"-
हिंदी
/
राजस्थानी
॥
कागद हो तो हर कोई बांचै...
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शुक्रवार, 9 अगस्त 2013
* तीन कुचरणीँ *
- रिस्ता -
अंगरेज देग्या
दो सबद
अंकल अर अंटी
जकां बजा दी
सगळै रिस्तां री घंटी ।
- चसमो -
लूंठो बेईमान
खाल खावै
नाक री
अर
हाजरी भरै
आंख री ।
- फोन -
लूंठो चुगलखोर
जको
इन्नै री बात
बिन्नै करै
अर लोग
इण चुगलखोरी रा
पईसा भरै ।
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