कागद राजस्थानी
॥
ओम पुरोहित "कागद"-
हिंदी
/
राजस्थानी
॥
कागद हो तो हर कोई बांचै...
||
रविवार, 2 जून 2013
आंख
देखण सारु
आंख री नीं
दीठ री होवै दरकार
दीठ होयां दिखै
घट री पड़तख ।
हिंयै री आंख सूं
दिखै ऊंडै अंतस
थिर चितराम
चाईजै पण इण सारु
हिंयै में च्यानणों
बो कुण करै
!
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