कागद राजस्थानी

रविवार, 2 जून 2013

कुचरणीं

आंख्या आगै
तिरवाळा आवै
सांस बाजै
चरड़ चूं
कड़तू दूखै
मुंडी करै डिस्को
दूखता गोडा
बोलता लखावै
अब भाया 
दुनियां सूं खिसको !

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