कागद राजस्थानी
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ओम पुरोहित "कागद"-
हिंदी
/
राजस्थानी
॥
कागद हो तो हर कोई बांचै...
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शुक्रवार, 21 जून 2013
*पंचलड़ी*
सांची बात खारी लागै ।
कूड़ी बात प्यारी लागै ।1।
साच नै ओ बतावै कूड़ ।
ओ माणस सरकारी लागै।2।
घाल कोठी ठाठ करै अब ।
पूरी खाल उतारी लागै ।3।
जनता रोवै भूखी तिस्सी।
आं नै आ हुंस्यारी लागै ।4।
नेता घरां नेता जामै ।
जनता अब बिचारी लागै ।5।
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