कागद राजस्थानी
॥
ओम पुरोहित "कागद"-
हिंदी
/
राजस्थानी
॥
कागद हो तो हर कोई बांचै...
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गुरुवार, 6 जून 2013
*बीत्यो है बगत*
तारा टूटै आभै सूं
आभो पण कदैई
रीत्यो नीं
बीत्यो है बगत
गिणतां-गिणतां तारा
गिणीज्या पण कद
नखत आभै रा सारा !
आपां सूं पैली भी
गिणता होसी लोग तारा
अब कठै है बै सारा
आभो तो आज भी है
अणगिणत तारां सूं
पळपळांवतो लड़ालूम !
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