कागद राजस्थानी
॥
ओम पुरोहित "कागद"-
हिंदी
/
राजस्थानी
॥
कागद हो तो हर कोई बांचै...
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रविवार, 2 जून 2013
आळस्यां री दो बात
1.
काम री मेदा कोनीं
टकै री पैदा कोनीं
भूख मरां अर मौज करां !
2.
गाडो जोड़ा नीं
घोचो तोडां नीं
फळी फोड़ां नीं
पांती तो पांती है
बा म्हे मोड़ां नीं !
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