कागद राजस्थानी
॥
ओम पुरोहित "कागद"-
हिंदी
/
राजस्थानी
॥
कागद हो तो हर कोई बांचै...
||
रविवार, 2 जून 2013
माळा रा मिणियां
माळा रा मिणियां
घिसग्या फेरतां-फेरतां
ना सुख मिल्यो
ना परमेसर
जोड़ायत ही स्यांति
बा ई सो बरस करगी
अब बाबो जी बण्यां
घाटो ई घाटो
कुण घालै
डैण नै आटो
छेकड़ बणग्यो डैण
खुद परमेसर
बतावै तो कोनीं
पण सोचै तो है
अब पकड़ी है
असली लैण !
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें