कागद राजस्थानी
॥
ओम पुरोहित "कागद"-
हिंदी
/
राजस्थानी
॥
कागद हो तो हर कोई बांचै...
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बुधवार, 23 अप्रैल 2014
*मौन धरती*
मौन हो तुम
किस के वियोग में
जपती हो किसे
कौन है अराध्य तुम्हारा
किस के विरह की
अग्नि धारे हो
अपने अंतस में !
पानी आता है
बहा ले जाता है
पवन आता है
उड़ा ले जाता है
तेरे तन से मिट्टी
बता धरती
क्या गुजरती है
पल-पल तुम पर ?
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