सिराध ओज्यूं आयग्या, आया कोनीं काग ।
छातां चढ-चढ जोंवतां , मुंडै आग्या झाग ।।
कागोस-कागोस करां, काढां मीठी राग ।
सीरो-पूड़ी जीमल्यो, आओ मायत काग ।।
मायत हा जद जींवता, नीं ही कोई लाग ।
अब भाजां म्हें डागळां, ढूंढण मायत काग ।।
छातां चढ-चढ जोंवतां , मुंडै आग्या झाग ।।
कागोस-कागोस करां, काढां मीठी राग ।
सीरो-पूड़ी जीमल्यो, आओ मायत काग ।।
मायत हा जद जींवता, नीं ही कोई लाग ।
अब भाजां म्हें डागळां, ढूंढण मायत काग ।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें