1-
सिंझ्या ढळगी सायबा ,चंदै भरली बांथ ।
खडी़ उडीकूं बारणैं , कद आवैला नाथ ॥
खरची खूटगी लागै ॥
2-
ताचक बैठी गौरडी़ , गोखै साम्हीं पंथ ।
ऊपर चमकै चांदियो ,कद आवैला कंत ॥
बो काईं फ़ांक ल्यासी ॥
3-
इण गेलां ई आवसी , कंत भायली आज ।
पळ न छोडूं पगथळी , बांथां भरस्यूं आज ॥
रूई री पांड कोनी बो ॥
4--
थारै हाथां जीम सूं , कंत पधारो आज ।
नींतर भूखी पोढ सूं , सेजां रा सिरताज ॥
पे डे होवैलो आज ॥
5-
भीतर ढाळूं ढोलियो , ऊपर छाऊं आंख ।
थांरै आयां सायबां , म्हारै आवै पांख ॥
कातरो है का फ़िड़कली ॥
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