कागद राजस्थानी
॥
ओम पुरोहित "कागद"-
हिंदी
/
राजस्थानी
॥
कागद हो तो हर कोई बांचै...
||
गुरुवार, 24 अप्रैल 2014
*गूंगिया बादळ*
ढोह दी टापरी
बाळ दी बाजरी
मेट दी आस
कर दियो
सैंग सित्यानास
जा रे डोफ्फा
गूंगिया बादळ !
आस ई ही
मुरधर रो धन
खोस लियो थूं तो
कदै ई इयां
कर्या करै है काईं
इयां ई कोई
बरस्या करै है काईं !
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें