कागद राजस्थानी

शुक्रवार, 25 अप्रैल 2014

राम राखसी टेक



साल बदळसी काल नै , होसी उच्छब अपार ।
घर-घर गोठां चालसी , आगत रै सतकार ।।
गोठ करैला भायला , दारू री मनवार ।
नाचा कूदा मोकळा , धूमस अपरमपार ।।
भल होवैला जीमणां , भूल गरीबी सार ।
मूंघीवाड़ो मारसी , सागी बा ई मार ।।
साल बदळियो मोकळा , बदळै न मिनख एक ।
सागी होसी राज में , राम राखसी टेक ।।
एक कलैंडर बदळसी , बोदो देसी फाड़ ।
घर-घर सागी चालसी , तंगी आळी राड़ ।।

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