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सांची बात
सांची बात खारी लागै ।
कूड़ी बात प्यारी लागै ।1।
साच नै ओ बतावै कूड़ ।
माणस ओ सरकारी लागै।2।
घाल कोठी ठाठ करै अब ।
पूरी खाल उतारी लागै ।3।
जनता रोवै भूखी तिस्सी।
आं नै आ हुंस्यारी लागै ।4।
नेता घरां नेता जामै ।
जनता अब बिचारी लागै ।5।
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प्रीत रा बाण
करी क्यूं देर आवण मेँ ।
आग लागगी सावण मेँ |1।
बादळ आय भेई देह ।
आयो आनन्द गावण में ।2।
जगी आस थे आवोला ।
लागी काग उडावण मेँ ।3।
धन थारो घर मेँ खूटै ।
कांईं सार कमावण में ।4।
हाथां प्रीत लाग्या बाण ।
कांईँ सार लुकावण मेँ ।5।
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