कागद राजस्थानी
गुरुवार, 20 जून 2013
*खुद खुदा अर दूजा खोजा*

घणों लागै
खुद खावै तो
कम लागै !
दूज रो सांच
कूड़ लागै
खुद रो झूठ
सांच लागै !
दूजां रो मान
धूड़ लागै
खुद रो मान
सिरै लागै !
दूजां रो धन
काळो लागै
खुद रो धन
धोळो लागै !
दूजां री बात
फांफ लागै
खुद री बात
दमदार लागै !
दूजां रा सद्कर्म
पाप लागै
खुद रा कुकर्म
धर्म लागै !
दूजां री कमाई
दो नम्बर लागै
खुद री कमाई
एक नम्बर लागै !
*चापलूसी दांव सिरै*

माल बटोरै मोकळो, लिट लिट गोड़ां ताण ।।
सांच न आवै बोलणों, कूड़ज बोलै साफ ।।
हां जी-हां जी भाखतां , जीभ दूखै न राफ ।।
चुगली चोखो हथियार, नित रा लेवै काम ।
चापलूसी दांव सिरै , राम बचावै राम ।।
चापलूसां घर घाटो , सुण्यो न देख्यो आज ।
हरदम रैवै मौज में, चावै बदळो राज ।।
मान सनमान ओहदा, हरदम राखै हाथ ।
चापलूस सै लौगड़ा,है नाथां रा नाथ ।।
*खुद री राख्या चींत*

सांची आयां सामनै, पड़तख आवै मौत ।।
करो बडाई मोकळी , तो हो व्हाला मींत ।
सांची भाख्यो आप जे, खुद री राख्या चींत ।।
बै है ठाडा राजवी , बां सूं ठाडो राम ।
राम बिगाड़ै काम तो , मिलै राम नै डा'म ।।
बां रो भाख्यो सांच है, जग रो भाख्यो कूड़ ।
आंख दिखाई आप तो, धोळां पड़सी धूड़ ।।
थे हो बां रा लारला, बै है आगीवाण ।
थे लेवो घर सांकड़ै, काढो मत ना काण ।।
*कुचरणीं:बैंक डकैती*

सफल डाको मार'र
डकैत बोल्या
नोटड़ा गिणां देखाण
कित्ता लूंट्या है
तो सरदार बोल्यो
गिणन री खेचळ छोडो
काल टीवी में देखस्यां
ठाह लाग जासी
पूरी डिटेल आसी !
सिंझ्या
टीवी में खबर आई
"डाकूओं ने बैंक लूटा :
पांच करोड़ रुपये ले भागे"
डाकूआं राजी होय'र
नोट गिण्या तो
दो करोड़ निकळ्या
तो एक डाकू बोल्यो
आपां कित्ती मैनत करी
हाथ तुड़ाया
सिर फुड़ाया
गोडा फुड़ाया है
आपणै फेर भी देखो
दो करोड़ ई
हाथ आया है
अर बिन्नै देखो
कीं कर्यां बिन्यां ई
बैंक मनेजरियै
तीन करोड़ कमाया है !
गुरुवार, 6 जून 2013
दोय कवितावां
==========
आओ !
आपां बात करां
छोटै-छोटै मुंडां
बडी-बडी
बातां करां !
ऐकर फ़ेरूं
गोरधन नै
चिटूली माथै ऊंचां
किरसन नै उडीक्यां बिन्यां
कंसां नै मारां !
महाभारत सारू
त्यार खडी़
अपघात्यां री फ़ोजां नै
धूड़ चटावां !
आओ !
आपां बात करां
छोटै-छोटै मुंडां
बडी-बडी
बातां करां !
सत्ता हथियावण
बेमेळ भेळा होयोडा़
भूपत्यां नै बकारां
सत्ता री दरोपती रो
चीर हरण होवण सूं पै’ली
लाज बचावां !
आओ !
आपां बात करां
छोटै-छोटै मुंडां
बडी-बडी
बातां करां !
चौपड़ माथै
पास्सा फ़ैंकतै धरमराज नै
हारण सूं पै’ली उठावां
कौरवां नै समझावां
अर
पांडवां नै पांच गांव दिरावां !
आओ !
आपां बात करां
छोटै-छोटै मुंडां
बडी-बडी
बातां करां !
============
आपां काईं करस्यां
===========
आपां
उण टैम काईं करस्यां
जद भैंरूं जी
सवामणी री परसादी
जीम’र भी
जे साध नी पूरी तो
आपां
उण टैम काईं करस्यां ?
दारू रो
पूरो गेळण गटक
समूळो बकरियो भख
माता नी तूठ्या
अर
हड़मानजी री देवळी री
इक्कीस फ़ेरयां रै बाद भी
हड़मान बाबै
भूत नीं काढ्यो तो
आपां
उण टैम काईं करस्यां ?
डोरा-मादळिया
अनै सात-सात झाडां रै बाद भी
मल्लू बरडा़वणो नीं छोड़्यो
देवळ्यां साम्हीं
झडू़लो उतारयां पछै भी
जे गोरियै
हकळावणों नीं छोड्यो
अर मंगळियै रै गोमदै
खोडा़वणो नी छोड्यो तो
आपां
उण टैम काईं करस्यां ?
आपां रै साथै ई
देई-देवता
पित्तर-भोमियां
डाकण-स्याकण
डोरा-मादळिया
झाडा़-टूणां ई जे
आगलै सईकै पूगग्या तो
आपां
उण टैम काईं करस्यां ?
** डांखळा **
+of+imagesCAAI9EMH.jpg)
[१]
मिनखां दाईं खेलस्यां आपां किरकेट अभी रुकॊ ।
ऊंदरा बोल्या टोस करो ऊपर उछाळो सिक्को ।
होयो जणां टॊश
उड्या बारां होस
मिनकी बोली म्हैं करस्यूं फ़ैसलो थोडा़ सा रुको ॥
[२]
म्हैं तो खेलूं कोनी जे एम्पायर है बिल्ली ।
ऊंदरो बोल्यो ऊंदरी सूं राफ़ां कर’र ढिल्ली ।
म्हनै तो लागै गप
कोनी कोई वर्डकप
आपणी आलागी धोकल्यो लाडी बजरंगबली ॥
[३]
क्रिकेट खेलण लाग्या मिल परा ऊंदरां ।
वर्ड कप राख लियो पार जाय समुंदरां ॥
पड़्यां बिन्यां ई गिली
आउट दे दिया बिल्ली
पूंछ उठा मैदान छोड भाजग्या जमूंदरा ॥
[४]
आउट क्यूं करियो म्हैं बणाणो हो शतक ।
मैदान सूं निकळ भाजी ऊंदरी बल्लो पटक ॥
थारै ऊंदी जंचगी
लाडी तूं तो बंचगी
मैदान में तो मिनकी एम्पायर जाती गटक ॥
[५]
किरकेट खेलै ऊंदरो आफ़त ना पूछ ।
हेलमेटियो पै’रै तो स्यामत लेवै मूंछ ।
छोडै नीं मिनकी इयां
लुकै तो लुकै कियां
नीं ढकै तो हिट विकेट कर देवै पूंछ ॥
==========================
==========================
हिलमिल होळी खेली ऊंदरां दिखायो हेत ।
फ़ूल तोड़ ल्याया लाल-लाल जद गया खेत ।
रगड़ बणायो रंग
सागै घोटी भंग
मिनकी रै डर सूं पीग्या भांग रंग समेत ॥
[२]
सिर हो मोटो पण पतळी ही कड़तू ।
ब्या होयो नीं अर कुंआरो रै’ग्यो पड़तू।
बुडापै में लाग्यो नाको
बोल्यो ऊंचो कर बाको
देखता रै’ईयो अब बांध देस्यूं भड़तू ॥
[३]
नरेगा रै कारड़ में चिपकावणी ही फ़ोटू !
मोटी जोडा़यत साथै कोड में बैठ्यो कोटू ।
फ़ोटोग्राफ़र गिण्या तीन
कैमरै में आयो नीं सीन
बो बोल्यो बाबै नै भेज तूं उठज्या छोटू ॥
[४]
रीसां में बोल्यो ऐक दिन खेमलो खिलाडी़ ।
दारू पीवण नीं देवै रांड आयगी अनाडी़ ।
गया नीं होटल
खोली नीं बोतल
इयां तो भूखा ई मरजासी बापडा़ कबाडी ॥
[५]
ऊंदरै भेज्यो ऊंदरी नै ऐक दिन ई मेल ।
धरती माथै तो है कोनी थारै जिसी फ़िमेल ।
ऊंदरी बोली रुक
पै’ली देख फ़ेसबुक
बठै लाधसी लाडी म्हारै जिसी रेल री रेल ॥
[६]
ऊंदरी बोली कार ल्याओ चढूं कोनीं बस में ।
जी घुटै म्हारो भीड़-भाड़ अर भारी रस में ।
ऊंदरो बोल्यो धिक्कै कोनीं
तूं म्हारै अब टिक्कै कोनीं
थारै जिसी तो होवणी चाईजै सरकस में ॥
[७]
ऊंदरी ही पेट सूं डागधर जी करी सोनोग्राफ़ी ।
पेट में दिख्या बच्चिया अणगिणत अर काफ़ी ।
करो ना रीस
लेऊं नीं फ़ीस
म्हारै कोनीं इत्ता पालणियां म्हनै देवो माफ़ी ॥
[८]
देखो जमानै में फ़ैसन बदळ्या है दस्तूर ।
ऊंदरी बोली ऊंदरै सूं आपणो काईं कसूर ।
देखो टींगर-टींगरी
फ़ैसन में फ़ींगरी
हाथै फ़ाड़-फ़ाड़ पै’रै आपरा पै’रण आळा पूर ॥
[९]
ऊंदरो बोल्यो ऊंदरी सूं सुणै है काईं स्याणी ।
आज तो लड़ मरिया आपणां सेठ अर सेठाणी ॥
बात कोनीं छोटी
पकै कोनी रोटी
ऊंदरी बोली डरो ना होटल सू आसी रासण पाणी ॥
[१०]
ऊंदरी जाम्यो ऊंदरो ऐक सकल मिलै बिल्ली सूं ।
काईं बतावै दाई ऊंदरै रो फ़ोन आयो दिल्ली सूं ।
सतगुरू तेरी ओट है
ऊंदरी में तो खोट है
लाई ऊंदरो कींयां बचसी जग में उडती खिल्ली सूं ॥
फ़ूल तोड़ ल्याया लाल-लाल जद गया खेत ।
रगड़ बणायो रंग
सागै घोटी भंग
मिनकी रै डर सूं पीग्या भांग रंग समेत ॥
[२]
सिर हो मोटो पण पतळी ही कड़तू ।
ब्या होयो नीं अर कुंआरो रै’ग्यो पड़तू।
बुडापै में लाग्यो नाको
बोल्यो ऊंचो कर बाको
देखता रै’ईयो अब बांध देस्यूं भड़तू ॥
[३]
नरेगा रै कारड़ में चिपकावणी ही फ़ोटू !
मोटी जोडा़यत साथै कोड में बैठ्यो कोटू ।
फ़ोटोग्राफ़र गिण्या तीन
कैमरै में आयो नीं सीन
बो बोल्यो बाबै नै भेज तूं उठज्या छोटू ॥
[४]
रीसां में बोल्यो ऐक दिन खेमलो खिलाडी़ ।
दारू पीवण नीं देवै रांड आयगी अनाडी़ ।
गया नीं होटल
खोली नीं बोतल
इयां तो भूखा ई मरजासी बापडा़ कबाडी ॥
[५]
ऊंदरै भेज्यो ऊंदरी नै ऐक दिन ई मेल ।
धरती माथै तो है कोनी थारै जिसी फ़िमेल ।
ऊंदरी बोली रुक
पै’ली देख फ़ेसबुक
बठै लाधसी लाडी म्हारै जिसी रेल री रेल ॥
[६]
ऊंदरी बोली कार ल्याओ चढूं कोनीं बस में ।
जी घुटै म्हारो भीड़-भाड़ अर भारी रस में ।
ऊंदरो बोल्यो धिक्कै कोनीं
तूं म्हारै अब टिक्कै कोनीं
थारै जिसी तो होवणी चाईजै सरकस में ॥
[७]
ऊंदरी ही पेट सूं डागधर जी करी सोनोग्राफ़ी ।
पेट में दिख्या बच्चिया अणगिणत अर काफ़ी ।
करो ना रीस
लेऊं नीं फ़ीस
म्हारै कोनीं इत्ता पालणियां म्हनै देवो माफ़ी ॥
[८]
देखो जमानै में फ़ैसन बदळ्या है दस्तूर ।
ऊंदरी बोली ऊंदरै सूं आपणो काईं कसूर ।
देखो टींगर-टींगरी
फ़ैसन में फ़ींगरी
हाथै फ़ाड़-फ़ाड़ पै’रै आपरा पै’रण आळा पूर ॥
[९]
ऊंदरो बोल्यो ऊंदरी सूं सुणै है काईं स्याणी ।
आज तो लड़ मरिया आपणां सेठ अर सेठाणी ॥
बात कोनीं छोटी
पकै कोनी रोटी
ऊंदरी बोली डरो ना होटल सू आसी रासण पाणी ॥
[१०]
ऊंदरी जाम्यो ऊंदरो ऐक सकल मिलै बिल्ली सूं ।
काईं बतावै दाई ऊंदरै रो फ़ोन आयो दिल्ली सूं ।
सतगुरू तेरी ओट है
ऊंदरी में तो खोट है
लाई ऊंदरो कींयां बचसी जग में उडती खिल्ली सूं ॥
सदस्यता लें
संदेश (Atom)