कागद राजस्थानी

मंगलवार, 31 मई 2011

सदा सुब करै काळी माता

सदा सुब करै काळी माता-ओम पुरोहित कागद
आज सातवों नोरतो। माता दुरगाजी रो काळरात सरूप। माताजी रै इण रूप नै काळी माता अर काळी माई बखाणीजै। कालरात्रि पण आपरो नांव। इण माताजी रो डील अंधारैमान काळो। सिर रा बाळ खिंडायोडा। गळै में बीजळी दाईं चमकती माळा। काळी माता रै तीन आंख्यां। नासां री सुंसाड सागै अगन री लपटां निसरै। आं री सुवारी गधे़डो। काळी माता रै च्यार हाथ। जीवणै पासै रो ऐक हाथ डरमुगत करण री अर दूजो हाथ वरदान देवण री छिब में। डावै पासै रै ऐक हाथ में लो' रो कांटो अर दूजै हाथ में तरवार। काळी माता रो सरूप देखण में जबर डरावणो। विकराळ। ऐ माता जी पण हरमेस भला फळ देवण आळी। हरमेस सुब-सुब ई करै। इण कारण इणां नै शुभंकरी भी कैईजै।
काळी माता नै घोर जपिया जपै। तपिया तपै। जादूगर इण माताजी रा लूंठा भगत। इंदरजाळ अर काळो जादू सीखण आळा काळी माता नै ध्यावै। लोगड़ा आपरै टाबरां नै उपरळी बीमारयां सूं बचावण रै मिस धोकै। भूत-प्रेत, टूणा-टसमण अर लाग-बांध नै टाळण सारू काळी माता नै ध्यावै। काळी माता री पूजा सात्यूं नै करीजै। इण दिन माताजी री पूजा घर रै बिचाळै करीजै। जोग्यां अर साधकां रो मन इण दिन सहस्त्र चक्कर में थिर रैवै। इण चक्कर में थिर मन रै लोगां सारू सिध्यां रो दरूजोखुल जावै। इण दिन साधक, तपिया, जपिया अर जोग्यां रा मन काळी माता रै मन में बिराजै। माता काळका भगतां रा दुख मेटै। सुख बधावै। दुष्टां रो खैनास करै। गिरै-गोचर री भिच्च यां दूर करै। माताजी रा साधक डरमुगत होय भंवै।
बंगाल में काळी माता री पूजा रा न्यारा ठरका। बंगाल रै घर-घर में काळी पूजा होवै। बठै री परापर में काळी पूजा री ठावी ठोड। मिंदरां में आरत्यां गूंजै। माताजी रै सरूप नै माटी सूं बणावै। भांत-भांत सूं सजावै। लूंठी-लूंठी देवळ्यां री सोभा-जातरा काढै। बंगालवासी जे बंगाल सूं बारै होवै तो इण दिनां पाछा बावड़ै। पाछो बावडंनो जे दौरो होवै तो जठै रैवै बठै ई काळी पूजा करै। राजस्थान में रैवणियां बंगाली चावना अर ध्यावना सूं काळी पूजा करै।

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