कागद राजस्थानी

रविवार, 18 सितंबर 2011

ऊंदी कविता

*रोळगदोळ अड़ंगो*
 
[ ऐक ]
बकरी ब्याई,इंडा ल्याई ।
लाडू बांट्या,ऊद बिलाई।।
नाचण ढूक्या,ऊंदर-चूसा ।
भेड पकड़ी,आय कसाई ।।
... चिलखां मिलगै,नाळ काटी।
कीड़ी मांगी,आय बधाई ।।
मार झपट्टो,इंडा फोड़्या ।
बां सूं निकल्या,च्यार सिपाई।।
सिपला बेटा,मांग्या रिपिया।।
पल्लै कोयनीँ,आन्ना पाई ।।
मंत्री उण रो, काको सागी ।।
दाबो बातां,म्हारा भाई ।।
[ दो ] 
म्हैँ एक छोरै नै कैयोः राजस्थानी मेँ लिख्या करो ! 
बण भच्च देणीँ सी लिख्यो--हम्बै !
म्हैँ कैयो-ओ कांईँ है ?
छोरो बोल्यो-राजस्थानी !
म्हैँ बोल्यो-हम्बै !
छोरो फेर बोल्यो- हम्बै कांईँ ? .......ओ तो हम्बै ई है !
... तीजै पूछ्यो-ओ कांईं...........हम्बै-हम्बै ?
म्है बोल्यो-राजस्थानी !
तो तीजो बोल्यो-हम्बै ! 
जे आ ई राजस्थानी है तो म्हैँ ई लिख सकूं !
म्हैँ बोल्यो-हम्बै ! तो लिख्या कर फेर !
बो बोल्यै-हम्बै !
 

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