ढोली ढोल बजाओ,गैरिया गैर रमै
-ओम पुरोहित 'कागद'
बसंत पांच्यूं धरा रंगीजै। रूंखां-झाड़कां, बांठकां माथै कूंपळां फूटै। फोगड़ा पांगरै। चीणा अर कणक माथै होळा लागण ढूकै। हरिया पानका। लाल, पीळा, केसरिया, हिरमिच, बैंगणियां अर धोळा पुहुप। फागण रो बाजै बायरियो। फूल-पानका लहरियो करै। फागणियो फरफरावै। लोगड़ा कैवै- भगवान किरसण फाग रमै। आठ्यूं सूं लागै होळका। होळी रो डांडो रुपै। मोट्यार साम्भै डफ, झींझा, बांकिया, थाळी, झालर, घूघरा, चिमटा अर ढोल। चूनड़ी रा साफा। लेहरियो, मोलियो, पंचरंगी पेचा बांध आय ढूकै चौपाळां। डांडिया रमै। तरवारां भांजै। लट्ठ बजावै। झीणी-झीणी गुलाबी सर्दी पड़ै। धूणी चेतन करै। डफ ताता करै अर बजावै। भेळा होय गोळ में गावै- 'उठ मिल लै रे भरत भाई,
हर आयो रे, कै उठ मिल लै।'
दूजै गोळ में सुणीजै- "
थारै तो कारण म्हैं मोहन हिरणी होई,
होय हिरणी जंगळ सारो हेरयो रे।' '
ढोली ढोल बजाओ, गैरिया गैर रमै |
छोरयां आठ्यूं सूं ही गोबर रा बड़कूलिया बणावणां सरू करै। गोबर सूं शंख, तारा, झेरणो, गट्ट, चाँद, सूरज, पान, दिवलो, होळका री मूरत आद बणावै। होळी मंगळावण सूं पैली बड़कूलिया सूकै। आं री माळा बणावै। होळी रै दिनां बैनां भायां रै सिर सूं उंवारै। वारणा लेवै। भाई री लाम्बी उमर री कामना करै। आई उतार'र बड़कूलियां री माळा नै झळती होळी में न्हांखै। पून्यूं रै दिन होळी मंगळाइजै। इण दिन लोगड़ा छाणा, थेपड़ी, लकड़ी आद बळीतै री चौक में ढिगली करै। बड़कूलियां भेळीजै। ढिगली रै सूंऐ बिचाळै प्रहलाद रूपी खेजड़ी रो हरियो डाळो रोपीजै। पंडितजी मंगळावण रो मुहरत काढै। पूजा करै। बडेरो लांपो लगावै। होळी मंगळाइजै। कुंवारा मोट्यार इण प्रहलाद नै काढ भाजै। सुगनी झळ में सुगन देखै। झळ जिण दिस जावै उण दिस जमानो जबर बतावै। लोग-लुगाई होळी रै खीरां में पापड़, खीचिया, कणक रा सिट्टा सेकै। होळा करै। आं नै बारा म्हीनां साम्भै। मानता है कै ऐ पापड़-खीचिया टाबरां रो खुलखुलियो ठीक करै। कुंवारी छोरयां राख सूं पिंडोळ्यां बणावै। आं पिंडोळ्यां सूं सोळा दिन गवर पूजै।
होळका मंगळावण रै दूजै दिन गैर रमीजै। इण दिन नै छारंडी, धुलंडी अर धूड़िया-फूसिया कैवै। लोग-लुगाई अर टाबर-बडेरा झांझरकै ई घरां सूं निकळै। हाथां में रंग-गुलाल, पिचकारी अर रंग री बोतलां। साथी-संगळी, भायेला-पापेला अर सग्गा सोई नै रंगै। टोळ रा टोळ बगै। धमाळां गावै। डफ बजावै। सूगला बोलै। मसखरियां करै। गळी-गळी में भाठां, डोलच्यां रा फटीड़ अर कोरड़ां रा सरड़ाट सुणीजै। देवर-भोजाई रंगण नै खसै। कादो मसळै। थोबड़ा ऐड़ा रंगीजै कै बेमाता ई नीं पिछाणै। गधे़डां चढै। मींगणां री माळा। खल्लां रा मौड़। डील माथै राख-धू़ड-कादो मसळै। मै'री नचावै। गैर रम्यां पछै भोजायां देवर अनै दूजां नै पैलड़ै दिन बणायोड़ा पकवान परोसै। कनाणा (बाड़मेर) री गैर, शेखावाटी री गींदड़, बीकाणै री अमरसिंघ हेड़ाऊ, मै'री री रम्मत अर हरसां-ब्यासां री होळी। भरतपुर री लट्ठमार होळी अर रसिया इणी दिन रंग में आवै।
हिरणाकुस री बैन होळका। होळका नै अगन सिनान रो वरदान। अगन सिनान सूं उणरो रूप निखरै। होळका रो भतीजो प्रहलाद बिस्णु रो भगत। हिरणाकुस बिस्णु नै मानै दुसमण। होळका प्रहलाद नै बाळ मारण री धारै। प्रहलाद नै गोदी में लेय'र अगन-सिनान करै। वरदान फुरै। होळका बळै। पण प्रहलाद बच जावै। इण री साख में होळी मंगळाइजै। हिरणाकुस री बैन होळका रो ब्याव राजस्थान रा ईलोजी साथै बसंत पांच्यूं नै तय। ईलोजी जान लेय'र ढूकै। होळका रै बळ मरण रो समचार मिलै। ईलोजी बगना हो जावै। गैलायां करै। भौमका जाय'र राख में लिटै। धूळ-कादो मसळै। लोगड़ा उण माथै पाणी फैंकै। गुलाल-कादो न्हाखै। ईलोजी बसंत पांच्यूं सूं पून्यूं तक गै'ला हुयोड़ा फिरै। छेकड़ हरीसरण होय देवता बणै। लोगां नै परचा देवै। एकर सीतळा माता वरदान देवै- ईलोजी रूसो मती ना, जिका थानै होळी रै दूजै दिन पूजैला, वांका कारज सरैला। बस उणी दिन सूं धुलंडी मनाईजै। इण दिन लोगड़ा ईलोजी दांई बगना होय गैलायां करता दोपारै तांईं गैर रमै। दोपारां पछै जाणकारां रै घरां राम रमी करण निसरै।
[] मायड़भाषा सारू दिल्ली में मंडसी " अखूट मरणों-धरणों " []
अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति रा प्रदेश महामंत्र्री डा.राजेन्द्र जी बारहठ,प्रदेश सचिव,डा.सत्यनारायण जी सोनी,प्रेदेश प्रचार प्रभारी श्री विनोद जी स्वामी,राजस्थानी चिन्तन परिषद रा प्रदेश पाटवी श्री प्रहलाद राय जी पारीक, राजस्थानी छात्र मोर्चा रा प्रदेश संयोजक श्री गौरी शंकर जी निम्मीवाळ ,मोट्यार परिषद रा ज़िला पाटवी श्री अनिल जी जांदू,पै’लडा़ प्रदेश पाटवी डा.भरत जी ओळा, राजस्थानी भाषा रा ऐकळडा़ सिख कवि सरदार रूप सिंह राजपुरी जी इण 23 अर 24 अप्रेल नै हनुमानगढ़ अनै श्री गंगानगर जिलै में राजस्थानी भाषा मानता आंदोलन सारू "जन-जागण" अभियान टोरयो ! दोनूं ज़िलां रा मोट्यारां में जोस भर दियो यानी जोरदार ढंग सूं मायड़ भाषा री आं अलख जगाई ! हरेक मोट्यार रै मुंडै "समर चढै मुख नूर " जेडा़ भाव दिखै हा !
आं दो दिनां में आं परलिका,नोहर,रावतसर,श्री गंगानगर,सूरतगढ़ अर 18SPD[ लाफ़्टर चैम्पियन अर फ़िल्मी हीरो ख्याली सहारण रो गांव ] में जोरदार बैठकां करी ! कई ठोड़ म्हैं भी इण टीम साथै हो ! ख्याली सह्हारण भी अखूट मरणै धरणै माथै फ़िल्मी हस्त्यां नै लेय’र बैठण रो पतियारो दियो !
सगळी ई ठोड़ लोगां कै’यो--
"रोज-रोज रै रोळै सूं म्हे तो आखता होग्या-अब तो बस दिल्ली में मरणों मांडो ! "
मरां चावै जीयां - दिल्ली सूं मायड़ भाषा नै आठवीं अनुसूची में जुडा़यां बिन्यां पाछा कोनी आवां ! थे तो बस दिल्ली रै जंतर-मंतर माथै ऐकर तप्पड़ बिछा देवो फ़ेर तो म्हे जाणां अर म्हारो काम जाणै ! बैठकां में ठोड़-ठोड़सैंकडूं लोगां हाथ उठाय’र मरणै - धरणै माथै बैठण री हामल भरी ! लोगां री भावनां देखतां थकां डा.राजेन्द्र बारहठ छेकड़ घोषणां करी कै अब तो बस दिल्ली रै"जंतर-मंतर" माथै " अखूट मरणों-धरणों " मंड ई सी ! उणां री घोषणां माथै लोगां ताळी ठोक’र "जै राजस्थान-जै राजस्थानी" री हुंकार भरी !
सूरत गढ री जन जागण बैठक रै बाद समिति रै लोगां बात -चीत करी जिण रो सार इण भांत है -
१-दिल्ली रै जंतर-मंतर माथै मई रै छेकड़लै हफ़्तै का जून रै पै’लै हफ़्तै "अखूट मरणों-धरणों" मंडसी !
२-मरणै धरणै री त्यारी सारू जयपुर में संघर्ष समिति रै बडेर री बैठक होसी ! इण बैथक में सरकार नै ज्ञापन,धरणै रो अळ्टीमेटम, धरणै री स्वीकृति ,रूट कंफ़र्मेशन, धरणै माथै खरच होवण आळी धनराशि रो प्रबन्ध,"अखूट मरणै-धरणै" अर रोज रा अरथाऊ धरणै माथै बैठणियां री सूची बणावणी आद बातां रा फ़ैसला होसी !
३-अप्रेल रै अंत में का पछै मई रै पैलै ई हफ़्तै मुख्यमंत्री जी रै बारणै आगै चेतावणी रो डंको बजाय’र मोट्यार परिषद अर छात्र मोर्चो आरटेट RTET अनै RTE में राजस्थानी भाषा नै भेळण री मांग करसी !
४ तेरा करोड़ राजस्थानी बोलणिया आखै जग में है राजस्थान में तो फ़गत साढे च्यार करोड़ ई है इण सारू मरणै धरणै माथै आखै देश रै राजस्थान्यां रो तन-मन-अर धन सूं सै’योग लेवणों भोत ई जरूरी मान्यों !
५-गांव-गांव,ढाणी-ढाणी अर सै’र नगर में रैवणियां हरेक राजस्थानी नै मरणै धरणै माथै बैठणियां री पक्की सूची अभी सूं बणावणी सरू कर देवणी चाइजै ! सूची में नांव, जी सा रो नांव,ठावो ठिकाणों.घर रा फ़ोन नम्बर अर मोबाइल नम्बर लिखणा जरूरी है ! धरणै माथै बैठण सारू किणी नै नूंतो का तेडो़ नीम दिरीजै ला ! हरेक राजस्थानी आपरै 10 भायलां नै मोबाइल सूं SMS करसी !राजस्थानी भाषा रै प्रचार -प्रसार सारू SMS आज सूं ई करणां सरू कर देवो ! SMS सूं MLA अर MP ज़िला प्रमुख अर प्रधानां नै मरणै धरणै री सूचना अनै आप रै सामल होवण री हुंकार तो भेज-भेज’र आखता कर ई देवो !
६- नेतावां नै आज सूं ई चेतावण सारू -"सुणल्यो नेता डंकै री चोट-पै’ली भाषा पछै बोट" , "सगळी भाषावां नै मानता-राजस्थानी नै टाळो क्यूं , म्हारी जुबान पर ताळो क्यूं ?" जो राजस्थानी की बात करेगा-वही राजस्थान में राज करेगा !" भेजणां सरू करो ! ऐ मूळ नारा होयसी !
७- मरणै धरणै माथै बैठणियो आपरा समूळा खरचा खुद करै लो !
आपणो राजस्थान-आपणी आजस्थानी !
जै राजस्थान-जै राजस्थानी !
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