कागद राजस्थानी

शनिवार, 26 जनवरी 2013

दूहा,

कळै मूळ राजनीति, धरम करम ना जात ।
हेत बिगाड़ै कुरसड़ी,
कर कर भूंडी घात ।।
आतंकी बिन जात रा, कुणसी उण री जात ।
थूक उछाळै नेतिया, बात बिनां री बात ।।
आतंकी है भायला , मिनख मारणों घात ।
कुणसो धारै धरम नै, कुणसो धारै जात ।।
घोटालां में भायला, कद हिन्दू मुल्ला हाथ ।
देसज लूंटै ऐकला, कुरसी बैठ्या नाथ ।।
जात बणाई नेतियां, ऐ बी सी डी जोड़ ।
बोटां आळी टैम में, जातां हुवै बेजोड़ ।।

दूहा,

कुरसी बैठ पकायली, चिंता हंदो सार ।
डांग चोपड़ो बेलियो, जनता खासी मार ।।
जनता मांगां राखसी, राखो भासण त्यार ।
हींग लागै न फिटकड़ी, भाषण देसी तार ।।
बोटां आळी पोटळी, ल्याओ ऊंच आंच ।
फेर बैठांला चैन सूं, बरस भायला पांच ।।
टाबर देखो आपणों, होग्यो जोध जुवान ।
गिद्दी छोडो मोहन जी, सांभसी खुद दुकान ।।
गांधी नांव अमोळ है, गांधी तारणहार ।
गांधी गाथा जापल्यो, छोटो गांधी त्यार ।।

दूहा

कुरसी जावै बेलियो, आओ मांडां चींत ।
बोटां आडी भायलां, कुण मांडी है भींत ।।
राजकाज सै छोडगै, कुरसी सांभो आज ।
बिन कुरसी रै बापजी, किंयां मिटसी खाज ।।
जनता गूंगी भेड है , फेर घालसी बोट ।
कुरसी जासी भायलां, आ जे चढगी घोट ।। 
जीम्या जीता जीमग्या, अब थे डाटो हाथ ।
भीड़ बीच में जायगै, बोलो जनता नाथ ।।
नारा सोधो फूटरा, जनता गूंगी सांड ।
भासण सुणगै तूठसी, बोट घालसी पांड ।।

बात बात में बात

म्हारै जिलै में
कई दिन 
धारीदार तेंदुआ आया
अर कई दिन 
खद्दरधारी तौंदुआ
जनता बणगी भेड
कदैई तेंदुआं लारै
कदैई तौंदुआ ला
रै !

गुरुवार, 1 नवंबर 2012

पांच दूहा भिस्टवाड़ै रा


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अन्ना बापड़ो ऐकलो , भिस्टड़ा है अणथाग ।
लाम्पो लेय लगाय दे, जनता आं रै आग ।1।
कुरसी बैठ कूड़ कथै, कुरसी छूट्यां सांच ।
कुरसी आं री खोसल्यो, साल न देवो पांच ।2।
करै दलाली   निसरमा,   जीत परा चुणाव ।
मूंघा  बेचै  कोयला ,   जेबां  घालै  भाव ।3।
राम  रुखाळो  देस  रो,  काटै  नेता  कान ।

जनता बैठी गूंग में, किंयां बचसी स्यान ।4।
सांची  मानो  बातड़ी,  नेता  जी  रा  बोल ।
जनहित में जे जीमग्या, खोलो मत ना पोल ।5।

घेसळो

भागी ल्याओ ऊंदरी
सांकळ लिँधी बांध
थाणेदार रै
चढ्यो बुखार
पटवारी नै बुलाओ रै
मास्टर री
बदळी करावां!

घेसळो

दिल्ली में
गाज्या बादळ
छांट पड़ी गुजरात
टाबरो
टीवी लगाओ रे
भैँस री
धार काढां!

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