कागद राजस्थानी

बुधवार, 30 मई 2012

दूहा-राबडी़ रा दूहा

सुख पांती रा भायला , मतै मिलैला आय ।
अणपांती रै लोभ में, माथो मती निवाय ।।
राबडी़ रा दूहा 
थळी पुगावै बाजरी , मोठ भेजै भण्डाण ।
बीका म्होबी पीसदै , राबड़ रांधो आण ।1।
मगरा थारी राबड़ी , मांगै देख भंडाण ।
थळी में चढ्यो चावलो, मुरधर नीं ओसाण ।2।
मगरै रांधी राबड़ी, लुकतो भाजै भाण ।
धोरी मारै सबड़का , सुरगां में घमसाण ।3।
डोवै आळी राबड़ी , भीतर न्हाना प्याज ।
जीरो छोडै मैकड़ी , छाछ बधावै लाज ।4।
थाळी भर गटकायली , गया झूम्पड़ै पोड ।
काल सुवारै जागसी , नींदां चढगी कोड ।5।
राब खीचड़ी प्याजिया , छाछ धपटवां साथ ।
गरमी भाजै आंतरी , सुरजी जोड़ै हाथ ।6।

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