कागद राजस्थानी

सोमवार, 16 जुलाई 2012

दूहा

बिरखा रा पांच दूहा
============

बरस झमाझम बादळी , आल्ला करदे ताल ।
तप-तप बैरी सुरजियो , भूंडी खावै खाल ।1।
*
बादळ मुरधर भेजदे , सुणलै थूं करतार ।
बिरखा होयां जीवस्यां ,जूण पड़ी मझधार ।2।
*
कूलर-पंखा फैल है , सूरज आगै राम ।
बिरखा आयां पांगरै,बळती माणस चाम ।3।
*
भीतर ठारै राबड़ी , बारै लागी लाय ।
काया होवै ठारकी,बिरखा दे बरसाय ।4।
*
बादळ थारी धण धरा, क्यूं राखी बिलगाय ।
पूत हरियल जामसी ,लगा काळजै आय ।5।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...