कागद राजस्थानी

शुक्रवार, 9 अगस्त 2013

सरदी में गुळराबड़ी


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सरदी आयगी । रठ्ठ पड़णों सरु होग्यो । 

अब हाड धूजसी अर नाक करसी सुरड़-सुरड़ ! 
घरां ढूकसी विक्स-बाम रा भांडिया अर सूंघणीं ।
खावण पीवण रा मजा पण इण इज मौसम में ई आवै । 


सीरो, लुपरियो , गुळराबड़ी , पकौड़ा , पूड़ी , परोंठा , 
गूंद-दाळ-मेथी-चासकू अर कमरकस रा लाडू गूदड़ां में 
ई गटकाईजसी । यानी रंधीण अर जमावणों खूब 
गटकाईजसी ।
आं सगळां में पण गुळराबड़ी सरदी सूं बचावण री लूंठी 

ओखद होवै । धांसी , जुखाम अर सरदी री आ रामबाण
 ओखद है । सुबै-स्याम ताती ताती गुळराबड़ी रा सबड़का 
लेईजै तो खुद सरदी मिनख सूं अळगी खड़ी होय धूजै ।
गुळ राबड़ी गुड़ री बणै । आज आप भी बणाओ देखाण-
बणावण रो तरीको
-00000000000
गुड़ नै जुरत मुजब पाणीं में भिजो देओ । उण पाणीं में 

कणक रो आटो घोळल्यो । किलो पाणीं में पाव आटै रै
 हिसाब सूं ।
टोपियै में देसी घी भावै अर पचै जित्तो घाल'र कळकळाओ ।

 कळकळतै घी में काळी मिरच अर सूंफ सेको । इण में 
गुड़-पाणीं रो घोळ छमको । सांगोपांग बड़का आयां पछै 
ऊपर सूं पीस्योड़ी इळायची बुरकाओ । ल्यो बणगी गुळराबड़ी । 
अब पीवो कप-बाटक्यां में घाल घाल । लेवो सबड़का ! 
आणंद ई आणंद आयसी !

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