कागद राजस्थानी
॥
ओम पुरोहित "कागद"-
हिंदी
/
राजस्थानी
॥
कागद हो तो हर कोई बांचै...
||
शुक्रवार, 9 अगस्त 2013
*काळजां खूटगी आग*
हिंयैं में च्यानणों
होवै कठै सूं
काळजां खूटगी आग
आग होयां ई
लगाईजै लाम्पो
लाम्पो लगायां ई पिंघळै
भेजां ढूकती बरफ
जकी जमाय न्हाख्या
चेतना अर मिनखपणों !
उणां रा बडा भाग है
जिणां रै काळजां
साम्भ्योडी आग है !
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें