कागद राजस्थानी

शनिवार, 21 जनवरी 2012

एक कविता

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[<>] लुक्को लाडी [<>]
नेता जी रै चढगी घोट ।
दादी बोली घालो बोट ।।
डेडर भांत बोल्या नेता ।
आज काल में पड़सी बोट ।।
जात पांत रा करसी खेल ।
मरजादा पर धरसी चोट ।।
दादी बोली लुक्को लाडी ।
ठाकुर जी री ले ल्यो ओट।।
खोट ढूंढसी आपां मांय ।
नेता जी में कोनीं खोट ।।
अळगा होय आपां बैठ्या ।
नेता सगळा ऐकम जोट ।।
कुरसी माथै जम परा ऐ ।
भीतर राख सेकसी रोट ।।
देस बचाणो तन्नै लाडी ।
हाथां ले लै भाया सोट ।।

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