कागद राजस्थानी

गुरुवार, 11 अक्टूबर 2012

00 पंचलड़ी 00


छोड दे भूंडी रीत बावळी।
ना पाळ ऊंडी प्रीत बावळी।।
मन री हार हार है जाबक ।
ना समझी तूं जीत बावळी।।
आखी जूणीं रोणोँ मंडसी ।
आज तूं गावै गीत बावळी।।
राधा-कान्हां निभाग्या पैली।
बगत गया बै बीत बावळी।।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...