कागद राजस्थानी

रविवार, 21 अक्टूबर 2012

दूहा

चोरड़ा चलाक चातर, चोघा घणा हराम ।
नेता म्हारै देस रा,राम बचावै राम ।।
बाबा थारी भोडकी , कियां खायगी भांग ।
नोट कढावै काळिया, कूकर पूरै मांग ।।
चोसठ सालां लूटगै, नेता कूट्या दाम ।
बाबो काढै सैँत मेँ, नेता चेप्या डाम ।।
दिल्ली दिलड़ो देस रो, कुणसो कैवै आज ।
नेता ठोकै डांग री, जान बचाओ भाज ।।
लोकराज रै च्यानणै, आज मच्यो अन्धकार ।
नेता जीमै नोटड़ा,जनता खावै मार ।।

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