कागद राजस्थानी

रविवार, 28 अक्टूबर 2012

हाथ-पग री कुचरणीं


हाथ बोल्या
म्हे तो माल में जावां
थे कादै में जाओ पगां
कदै ई गोबर टिको
कदै ई भोभर में
आदमी री जद चालै नीं
तो बो थांन्नै ई पटकै
थे आदमी नै
टिकण नीं देवो
ठोड़-ठोड़ रुळाओ
थारा ई फेरा
आच्छा माड़ा बजै
म्हे आदमी रै मुंडै
आच्छी आच्छी चीजां घालां
मुंडो धोवां-पूंछां
नुहावण सूं लेय'र
सगळा अंग साफ करां
मिनख रा आंसू पूंछां
खाज करां
माच्छर माखी उडावां
सरत लगावां
रिपिया गिणां
ताळी बजावां
भगवान आगै जुड़ां
म्हांनै जोड़-जोड़
आदमी ठाह नीं कित्ता
काम काढ़ लेवै
भाग रेख भी म्हारै खन्नै
म्हे ई हथलेवो करावां
म्हारै बिन्यां तो मिनख
कोई काम नीं कर सकै !

पग बोल्या

थे तो सूगला
जाबक निसरमा हो हाथां
सगळा खोटा कामां में
थे ई होवो
थांरो डोळ दुनियां जाणैं
थे मंडो तो
मिनख मंगतो बणै
सगळी कूटा- मारी
समूळी हिंसा थे करो
थाप में थे
डुक-मुक्कै-रैपट में थे
चोरी-चकारी थांरा काम
रिस्पत थे झालो
नेतावां खातर
घोटाला थे करो
कादो-गंद-मळ-मूत
थे ई धोवो
सूगलै अंगां माथै
थे ई ढूको
थे जचै जकै रै आंगळी
जचै जकै रै खाज करो
म्हे मिनख रो भार ढोवां
तीरथ करावां
दुनियां घुमावां-दिखावां
मार पड़ै जद मिनख नै
भाग-भाग बचावां
म्हारै बिन्यां
मिनख नै ढोई कोनीं
म्हारै जिसो हेताळू
मिनख रो कोई कोनीं !

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