कागद राजस्थानी
॥
ओम पुरोहित "कागद"-
हिंदी
/
राजस्थानी
॥
कागद हो तो हर कोई बांचै...
||
बुधवार, 31 अक्टूबर 2012
घेसळो
काको ल्यायो काकड़ी
काकी खा गी आम
काके ठोकी
डांग री
पीँपै रो
खुलग्यो ढक्कण
भाईड़ो दर्जी बुलाओ रे
गन्नै रो रस काढां!
[कागद]
[कागद]
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें