कागद राजस्थानी

बुधवार, 10 अक्टूबर 2012

दूहा

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राज चलावै सोनिया, देखै है सरदार ।
मंत्री भूंसै रोब सूं, कोई न जिम्मेदार ।।
मनमोहन थारो राज, कोजो घणो खराब ।
धरमी खावै लाठियां, गुंडा मुंडै आब ।।
चमचा चूसै चासणी,नेता खावै माल ।
जनता कूकै गूंग में, बोलो सतश्रीकाल ।।
गुंडा बैठ्या राज मेँ, पूरा लेवै ठाट ।
जनता मांगै रोटियां, फोड़ण भाजै टाट ।।
कुरसी बैठ्या चोरटा,धर नेता रो भेस ।
नोट कमावै देसड़ै, मेलै जाय विदेस ।।

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