कागद राजस्थानी

गुरुवार, 11 अक्टूबर 2012

दूहा

नानक राम रहीम रा , बंदा देखो आप ।
रोटी खोस गरीब री , कर बैठ्या धणियाप ।।
नेता जीव कुजीव है, कुरसी उण रो राम ।
कुरसी छूट्यां बापजी, होवै काम तमाम ।।
धरम भिड़ावै नेतिया, जातां दै सुळगाय ।
कीँ बोटां रै कारणै, माणस दै मरवाय ।।

बाबा कुणसा घाट है,घाट घाट धणियाप ।
माळा फेरै राम री, रोज कमावै पाप ।।
जनता घालै घाट नीँ, लालच मरती जाय ।
उणनै टेकै बोटड़ा . खाल जको है खाय ।।

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