कागद राजस्थानी

सोमवार, 22 अक्टूबर 2012

गांधी थारै देश में

गांधी थारै देश में, नेतां घाली राध ।
धाप कमावै नोटड़ा, चोगड़दै अपराध ।।
गांधी थारै देश मेँ,रुळगियो लोकराज ।
नेता होग्या निसरमा, माटी रुळगी लाज ।।
गांधी छपग्यो नोटड़ां , बण्यो नेतां री स्यान ।
अब जे आवै साम्हनै,उणरा खोसै कान ।।
गांधी थारी अहिँसड़ी, खोई खुद री धार ।
धरणै बैठ गरीबड़ा, नित री खावै मार ।।
गांधी थारी समाधी, थरप दी राजघाट ।
दिन मेँ धोकै नेतिया, रातां ठाटमठाट ।।

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