कागद राजस्थानी

रविवार, 21 अक्टूबर 2012

कुचरणीं

=====पै’ली अर अब =====
पै’ली
आदमी ढूंढतो
भगवान नै
अब
भगवान ढूंढै
आदमी नै !

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